Monday 11 April 2016

ले चलो वहाँ 

कोई मेरी उंगली थामकर ले चले वहाँ,
बिछी हुई सितारों की चादर हो जहाँ,
बहती हो जहां हवा ए सुकूं,
अमन ओ चैन ही बस हो जुनूं l
जहां ना कोई अपना हो,ना पराया,
ना कोई हो दर्द में, हो ना कोई सताया,
स्वच्छ नीला जहां है आसमान,
निश्छल,पवित्र. अरमानों का होता मान ll
फूलों के रंग भी जहाँ हो न्यारे न्यारे,
रंग बिरंगे तितली,पंछी प्यारे प्यारे,
उबड़-खाबड़,अनजाने से हो सब रास्ते,
गुज़रे दिन सारे बस यूँ ही मुस्काते, हंसते ll
ना कोई रूठे,ना पड़े किसी को मनाना,
ना आज़माएं जाएं,ना पड़े कभी आज़माना,
रूह की आजा़दी, खुली साँसों का हो खजा़ना,
बस खुशियों और मुहब्बतों का ही हो ये ज़माना ll

कोई बस मेरी उंगली थामकर ले चले वहाँ,
बिछी हुई मेरे सपनों के सितारों की चादर हो जहाँll

-मधुमिता

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