Tuesday 18 September 2018

मुस्कुराया जाये... 


चलो इस टूटे दिल को समेट
उसे प्यार से जोड़ा जाये,
जज़्बातों को पंख लगा 
ऊँचे आसमानों को छू आया जाये ।

इन हाथों को हाथों में लेकर
दो दिलों को जोड़ा जाये,
इन दो आँखों के आँसुओं को
मुहब्बत की गर्माहट से पोंछा जाये ।  

चलो ले चलूँ मै तुमको
एक नये रोशनी पूंज की ओर,
एक नयी राह पर 
एक नवीन रंगीन सुबह की ओर। 

निकल चलो इस आँधी 
और इस बेताले बेसुरे शोर से,
बह जाने दो सब विषाद 
इन आँखों के कोर से।

अश्कों की बरसात में से
कुछ मोती फिर संभालें जाये,
बीते हुये दिनों में से
खोई मुसकान को ढूँढ़ा जाये।

देखो तुम मेरी आँखों में
चलो सपनों को बटोरा जाये,
सतरंगी से ख़्वाबों के बीच
चलो फिर मुस्कुराया जाये। 


©®मधुमिता

Sunday 9 September 2018

प्यार की पांति...

तुम नयनों में काजल बन समा जाओ
मै बिंदिया सी दमक जाऊँ
तुम धूप बन आँगन मेरे उतर आओ
मै छाया बन लिपट जाऊँ
तुम मेघ बन जब आ जाओ
मै बारिश बन बरस जाऊँ
तुम शांत सागर से मुझे अपना जाओ
मै चंचल दरिया सी तुम में समा जाऊँ
तुम प्यार की पांति लिख जाओ
मै गीत बना तुमको गा जाऊँ

©®मधुमिता