ना असर करती है दुआ,
हो गयी बेअसर हर दवा l
ना रस,ना जल,ना हवा,
बस इक सूखा सा कुआं l
रुक जा ऐ उमर !
तू भाग चली किधर?
फिसल चली हाथों से,
टल रही है सब यादों से,
बालों की सफेदी से झांकती,
सर्द सी कफन मुझ ओर रेंगती,
धीमे-धीमे, हौले-हौले,
ना जाने कब यूंही मौत मुझसे मिलेll
©®मधुमिता