Tuesday 29 December 2020

रुमानियत

क्या होती है रुमानियत 

पूछो उस चाय की प्याली से

नाज़ुक हल्की भरी सी

जिसे दो लब छू भर जाते हैं 

पल पल हर दिन 

और फिर मिटा जाने को

वो हर ख़ूबसूरत निशां 

एक इंतज़ार फिर 

उन लम्हों का

उन लबों का

उन अहसासों  का

गर्म जज़्बातों का

लम्हा लम्हा 

पलछिन पलछिन 

©®मधुमिता