Wednesday 13 April 2016

हाथों की लकीरें

Image result for hand palms

हाथों की तंग लकीरों
की मकड़जाल सी गलियों
से बहुत दूर निकल आए,
अरमां थे कि मंजि़ल को पाएं,
अहसासों के छोर को पकड़,
अपने से उसको, बाहों में जकड़,
भरकर खुशियों से दामन
सजा लूं अपना घर आंगन l

खेल यूं रचा तकदीर ने,
घुटने टेके तदबीर ने,
ना मंज़िल मिली,ना घर आंगन,
ना थामने को कोई प्यार भरा दामन!
बंद पड़े हैं सारे दर औ दीवार,
ना कोई महफ़िल ही है, ना विसाले यार!


-मधुमिता

No comments:

Post a Comment