Tuesday 30 May 2017

अफ़साना





दिल ने कहा चलना
कुछ अपना अफ़साना बयान कर,
कलम उठाई ही थी
कि दिमाग़ ने कन्धे पर दस्तक दी
और कहा , "पागल है क्या?"
ये दुनिया जज़्बातों की कद्र नही करती,
माख़ौल बना देगी तेरी ज़िन्दगी का!
संभाल पायेगी क्या ये यातना??
मै वहीं ठिठक कर जड़ हो गई!!
   
©मधुमिता   2017

Monday 22 May 2017

आँसू...


गर मुरझाई हूँ आज तो क्या,
कल आँसू फिर सींच देंगे,
पोंछकर सब कालिमा कल की,
जड़ों को मेरे जीवित कर देंगे,
हरी भरी कर,
हर रंग घोल मुझमे भर कर
सारगर्भित कर ही देंगे।।

©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य

Thursday 11 May 2017

खुशियाँ




याद है मुझे,
साल पहले,
मेरा हाथ थामे
कहा था तुमने,
मुझे खुश रखना ही एकमात्र मकसद है तुम्हारा,
मेरी खुशियाँ ही बस मायने रखती हैं अब तुम्हारे लिये,
नाच उठा था मन मेरा,
रोम रोम गया था इतरा,
पर क्या पता था कि ये बस खोखले से बोल थे,
जो मैने समझे अनमोल थे,
तुम तो शायद खुशियों का मतलब ही नही जानते,
उनकी खूबसूरती को नही पहचानते,
खुशियाँ  मुहब्बत से पाली जाती हैं,
नर्मी से सहलाई जाती हैं,
सींची जाती हैं अहसासों से खुशियाँ, 
जज़्बातों के रंगों से सजाई जाती हैं खुशियाँ,
खुशियों को इत्र सा महकाया जाता है,
चिड़ियों सा चमकाया जाता है,
पायल की छनक सी,
चूड़ियों की खनक सी
 ताल पर मीठी सी
हंसती, गुनगुनाती
हुई आती हैं खुशियाँ,
प्यार से ना अपनाओ तो मुँह मोड़ जाती हैं खुशियाँ,
अभी भी थाम लो, रोक लो इनको,
कहीं देर ना हो जाये और खो दो तुम सबको,
दिल सी नाज़ुक होती हैं खुशियाँ,
टूटकर बिखर भी जाती हैं खुशियाँ,
चलो चलकर खुशियों को ज़रा मना लो,
वादे का अपने मान रख लो,
दोनो हाथों में भर लो इनको,
हाथों से अपने लुटाओ इनको!

दुगनी कर ले आओ खुशियाँ,
मेरे जीवन में भर जाओ खुशियाँ।।

 ©®मधुमिता

Wednesday 3 May 2017

गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये...



गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये
उस आख़िरी पल का,
लम्हे का,
आख़िरी उस साँस का,
तो बता जाऊँगी मैं तुम्हे मेरी मुहब्बत का
जो यूँ ही बरकरार रहेगी,
वक्त के पार,
हमेशा हमेशा,
सदियों तलक,
ज़िन्दगी के उस तरफ,
मौत की ज़मीन पर भी, 
इश्क मेरा ज़िन्दा रहेगा।


गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये
कि वही वह लम्हा है
जब मै तुमसे आख़िरी बार मिल रही हूँ,
देख पाऊँगी अब तुमको और नही,
तो यकीन जानो,
लाखों तस्वीरें तुम्हारी
इन दो आँखों में कैद कर 
ले जाऊँगी साथ अपने,
खुद के लिये,
देख लूँगी पल पल तस्वीर तुम्हारी,
ज़िन्दा रखूँगी इन नज़रों में ,
मुहब्बत अपनी, हमेशायगी तलक।


गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये
कि आवाज़ तुम्हारी, 
कानों को मेरे 
आख़िरी बार सहला रही है,
तो सच कहती हूँ
बड़े ग़ौर से मै तुमको सुन लूँगी,
कसम से एक भी कतरा
अश्क का नही गिरेगा,
ना इन हथेलियों पर,
ना सीने पर तुम्हारे,इस दिल मे अल्फाज़ तुम्हारे
मुहब्बत भरे, मै ले चलूँगी।


गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये
कि बस अब और तुम्हे 
मै छू ना पाऊँगी,
उस लम्स को,
हर उँगली को, 
महसूस करूँगी
जी भरकर,
उस अहसास को जी लूँगी, 
बाँहों मे भर लूँगी तुम्हे,
एक आख़िरी बार
हकीकत को थाम लूँगी,
मुहब्बत में थम जाऊँगी वहीं।


गर मुझे किसी भी वक्त पता चल जाये
कि दिल मेरा आख़िरी बार धड़क रहा है,
उस धड़कन पर खूब मचलूँगी, 
बहकूँगी, 
रूह में जज़्ब कर हर अहसास
और जज़्बात, 
खूँ मे इश्क का रंग समेट,
शुकराना उस ख़ुदा का करूँगी, 
जिसने तुमसे मिलवाया, 
रंग-ए-मुहब्बत मे रंगवाया,
 बाँहों मे तुम्हारी ये नज़रें बंद कर,
इश्क में फ़ना हो जाऊँगी।।


©मधुमिता