बसंत...
छंट गया भीषण अंधियारा
प्रकाशमय हो गया अम्बर,
सर्द हवा के चादर के बीच
झांक रहा उजला सूरज!
दृश्य सजे हैं अनगिनत,
चहुँ ओर है मधुरम सुगंध,
नव किसलय हैं,
नूतन कलियाँ,
भवरों का गुनगुन,
चहकती हुई
पंछियों की धुन,
रस लहरी है,
है रंगों की झड़ी,
उत्साह है, उल्लास है,
अनंत आनंद का आभास है,
प्रेम-प्यार की है बयार,
राग-अनुराग की
हर पल बहती धार,
गुलाबी सी मदहोशी है,
बासंती रागिनी,
स्वर्णिम से सपने,
स्वप्निल सा मौसम,
सपनों में बसंत है कोई,
या बसंत में कोई सपना !
©®मधुमिता