Friday 8 April 2016


सर्द अहसास

सर्द रज़ाई की छूवन, करा जाती
है तेरे ना होने का अहसास ,
और सारे अहसास सर्द कर जाती है!!


सर्द रज़ाई की ये छुवन, करा जाती
है तेरे ना होने का अहसास ,
और सारे अहसास सर्द कर जाती है!!

रुला जाते हैं तेरे वादे,
बेहद सताती हैं तेरी यादें
और रोम-रोम मेरा, दर्द से भर जातीं हैं।।

वो शहद सी तेरी बातें ,
मेरे कानों में, यूं आते जाते
क्यों सीसा सा अब घोल जाती हैं !!

वो तेरे बदन की तपन
से ,मेरे ज़र्रे ज़र्रे की पिघलन ,
अब तो बस मुझे बर्फ कर जाती है।।

वो हमारे दिलों का मिलना,
दो जिस्म, इक जां बनना,
यूं मेरे पूरे वजूद को तोङ जाती है ।।

तेरा मचलना,मेरा चहकना,
ऐ मेरी ज़िन्दगी,तेरा मुझे जान कहना
सब अब मुझे बेमौत मारे जाती हैं ।।

तेरे प्यार भरे,ज़िन्दा से अलफ़ाज़,
मेरे हरपल धङकते अहसास,
कमबख्त मुझे अब क्यों बुत बना जातीं हैं !!

सर्द रज़ाई की छूवन, करा जाती
है हरपल,तेरे ना होने का अहसास ,
और सारे अहसास सर्द कर जाती है!!

-मधुमिता

No comments:

Post a Comment