Friday, 12 September 2025

दिल की दुनिया महकती — तुम्हारी हँसी



जो ख्यालों में छुप-छुप के आती रही,

दिल की दुनिया महकती — तुम्हारी हँसी।


शेर 1:


कभी लहर बनके मचलती रही,

कभी साज़ों में बजती — तुम्हारी हँसी।


शेर 2:


सावन की फुहारों में घुलती हुई,

फूलों-सी मुस्काती — तुम्हारी हँसी।


शेर 3:


हर अंधेरे को रौशन करे चुपके से,

जैसे दीपक में जलती — तुम्हारी हँसी।


शेर 4:


कभी मासूमियत, कभी शोख़ अदाएँ,

हर रंग में ढलती — तुम्हारी हँसी।


अब 'बावरी' को न तन्हा कोई रात लगे,

जब ख्यालों में चलती — तुम्हारी हँसी।


©®मधुमिता

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