❖ मतला:
ज़माने से छुपी एक रूहानी कहानी — तुम्हारी हँसी
हर एक दर्द पे जैसे हो मरहम रवानी — तुम्हारी हँसी
❖अशआर:
सहर की तरह खिलती है हर सुबह में
गुलों पर उतरती है झीलों की रानी — तुम्हारी हँसी
न जाने कहाँ से उतरती है चुपके
सदा बन के आती है कोई निशानी — तुम्हारी हँसी
तुम्हारे लबों की वो मीठी खनक है
सुरों में बसी इक नई इक कहानी — तुम्हारी हँसी
©®मधुमिता
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