Friday, 12 September 2025

तुम्हारी हँसी

 ❖ मतला:


ज़माने से छुपी एक रूहानी कहानी — तुम्हारी हँसी

हर एक दर्द पे जैसे हो मरहम रवानी — तुम्हारी हँसी


❖अशआर:


सहर की तरह खिलती है हर सुबह में

गुलों पर उतरती है झीलों की रानी — तुम्हारी हँसी


न जाने कहाँ से उतरती है चुपके

सदा बन के आती है कोई निशानी — तुम्हारी हँसी


तुम्हारे लबों की वो मीठी खनक है

सुरों में बसी इक नई इक कहानी — तुम्हारी हँसी


©®मधुमिता

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