Tuesday 9 October 2018

तेरी लगे हर चीज़ यहाँ ...


सुबह तेरी
शामें तेरी,
रातें तेरी,
ये सहर भी,
सुर भी तू,
ताल भी तू,
तू बंदिशे,
तू रागिनियाँ,
स्थाई कभी,
अस्थाई कभी,
आरोह भी, 
अवरोह भी,
मध्यम,
द्रुत,
सब लय
विलय, 
कविता में तू 
संगीत में तू,
मेरा चैन भी
और सुकून भी,
धरती तेरी
आसमां तेरा
तू आशिकी
मेरी दीवानगी,
ये दिल तेरा,
ये जहाँ तेरा,
ख़्वाबों की मूरत है तू
ख़्वाहिशों का समन्दर तू,
हर घड़ी तेरी,
हर पल तेरा,
तेरी लगे, हर चीज़ यहाँ
मानों हो, ये कायनात तेरी।।


©®मधुमिता



 

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