Thursday, 25 October 2018

मुट्ठी भर आसमाँ ...





मुट्ठी भर आसमाँ लेकर 

निकली थी मै,

सारा जहाँ मै चुन लाई,

गुलाबी से कुछ ख़्वाब 

सजाना चाहती थी मै,

इन आँखों में देखो, 

सारा इंद्रधनुष उतार लाई,

कतरा एक ढूढ़ने चली थी, 

इस छोटी सी अंजुरी में मै 

प्रेम का सागर भर लाई ,

खुरदरे टाट से अंधेरे में

सपने कई सजा आई, 

क्षणभंगुर से इस जीवन में,

ज़िन्दगी जन्मों की जी आई,

मरुस्थल से इस दिल में

अनंत प्रेम समेट लाई,

मुट्ठी भर आसमाँ लेकर 

निकली थी मै,

सारा जहाँ मै चुन लाई ..।।


©®मधुमिता



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