Thursday 27 April 2017

वक्त



मरहम नही लगाता है वक्त,
एक सा नही रहता है वक्त,
ना करे प्यार,
ना छिपकर वार,
पर हर बदलते दिन के साथ,
जैसे भूलती बीती बात, 
हर ज़ख़्म भुला देता है वक्त ,
कुछ और जान फूंक जाता है वक्त।।

©मधुमिता

#सूक्ष्मकाव्य




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