shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Thursday 13 April 2017
खिवैय्या
एक नयी सुबह की खोज मे
फिर निकल पड़ा हूँ मै,
नयी लहरें, नयी हवा,
सब कुछ स्वर्णिम, सब नया नया,
नयी राह पर चल पड़ी जीवन नैय्या,
ना जाने किस ओर ले चला खिवैय्या।।
©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य
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