Wednesday 12 April 2017

धमाल




कुछ आँकी बाँकी सी,
कुछ टेढ़ी मेढ़ी सी,
मदमस्त चाल देखो किस्मत की,
ना रुकी है,
ना थकी है,
देखो तो धमाल ज़रा किस्मत की!

©मधुमिता

#सूक्ष्मकाव्य 

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