Thursday 13 April 2017

रोशनियाँ

टिमटिमाती रोशनियाँ हैं कई 
बिखरी आसमान में,
चमचमाती, मुस्कुराती,
हर अभिनंदन को समेटती,
दिलों के जुड़ने पर 
खुशियों की रोशनी बिखेरती,
और टूटे हुये दिल संग
सुबक सुबक रोती,
हर सितारा मानो एक जान,
जीता जागता,
धड़कता,
दमकता, 
रात की कालिमा को मिटाता,
अंधेरों को हराता।

करने को संरक्षित,
निरापद, भयरहित, 
तेजोमय, 
प्रकाशमय, 
मिटाने हर संदेह
और ऊहापोह,
दूर कर हर भय संत्रास,
आतंक या त्रास,
करती रौशन,
एक अद्भुत सम्मोहन
से लिप्त हर टूटा तारा,
प्रेम से भरा,
प्रेममय,हर दर्द भुलाने को,
हर दर्द के निशां मिटाने को।

चलो किसी तारे से कोई दुआ मांगी जाये,
मन के अंधेरे कोनों को रौशन किया जाये,
तंग, स्याह नज़रिए को बदल,
रोशनी की ओर चल,
मुहब्बत को महकाया जाये,
किस्मत को कुछ चमकाया जाये,
जलते चिरागों से ये सितारे,
मानों दिल हों मुहब्बत भरे,
हर ऊँचाई को छूते,
हर टूटे दिल को हाथों में भर लेते,
कभी चहकते,
थोड़ा महकते,
चमचम चमचम मुस्कुराते,
हर आशिक को राह दिखाते।।
  

©मधुमिता

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