Monday 1 August 2016

हमारी मूरत




ये अथाह सागर जानता था हमारा प्यार,
जानती थी ये भीगी सी, मख़मली बयार,
रेत, सीप और मोती,
लहरें, झाग,मछलियाँ बङी-छोटी, 
पत्थर,कंकङ और खड्डे,
पानी भरे वो मचलते गड्ढे,
सबको हमारा नाम पता था,
इश्क करना था अपना काम पता था।


इन्हीं फूलों, इन्हीं पत्तों के बीच कहीं 
अंकित है हमारा पहला चुम्बन अभी भी,
अनंत पवित्रता का प्रतीक,
बिल्कुल वैसे ही,ठीक
जैसे भौंरे की छुवन से 
कली फूल बनती जैसे,
वैसे ही दो लब हमारे,
जुङते प्यार के फूल खिलाने।


ऐसा फूल जो है चिरकालिक, 
प्यार सिर्फ जिसका मालिक,
हमारा प्यार मीठे झरने की तरह,
फूट रहा था हर जगह,
पत्तों की हरियाली में,
फूलों के जीवंत रंगों में, 
लहरों की शिखाओं में,
स्वर्णिम रेत की चमकार में।


हर दिन कई नये फूल खिलते,
साथ हमारे अधर जुङते,
एक दूसरे से लिपटे हम,
समय वहीं गया था थम,
हवाओं में बिखरी थी तुम्हारी खुशबू,
मेरी बाँहों में तुम,मेरी आबरू,
हर क्षण हमारा नाम गूंजता,
हाँ वहीं हमारा दिल था बसता।    


हमारे प्यार का बसंत,
रंगीन,जीवंत, अनंत,
दो धङकते दिल,
जो गये थे मिल, 
घूल गये थे हम एक दूजे में ,
लहू भी दौङ रहा था एक दूजे की धमनियों में,
मेरे सीने में सिमटा तुम्हारा चेहरा,
मेरे चेहरे पर तुम्हारे रेशमी,उङते बालों का सेहरा।


गर्मी,सरदी,बसंत,बहार,
ठंडी-ठंडी बारिश की फ़ुहार,
हर एक खुश था हमारे मिलन पर,
पंछी,तरु, प्राणी हर,
हर पत्ता, हर फूल इतरा रहा था,
प्रेम हमारे साक्ष्य जो भी बन रहा था,
एक दूसरे के प्यार में चूर,
हम दोनों के चर्चे थे मशहूर ।


मशहूर थे हम वीरानों में,
ऊँचे आसमानी उङानों में,
फूलों और पत्तियों में,
डालियों और जङों में,
हर जगह थी हमारी छाप,
लेती थी लहरों की थाप
नाम हमारा दिन और रात,
हवा भी करती बस हमारी ही बात ।    


एक दूसरे की बाँहों में सिमटे,
दो बदन आलिंगन में लिपटे, 
हृदय की धङकन का गीत,
रुमानी सा, गुलाबी संगीत, 
आसमान की चादर तले,
तारों की झालर तले,
एक हुये हम दोनों धीरे-धीरे,
चुपके से यूँ ही सागर के तीरे।


ऐसे ही तुम मुझमें सिमटी रहो,
मुझसे आलिंगनबद्ध रहो,
मेरी पलकें तुम्हारे गेसू संवारती,
लब मेरे करते प्रेम आरती,
सब कुछ प्रेम मय हो जाता,
समय का पहिया भी थम जाता,
तुम मुझे देखती,मै देखता तुम्हारी सूरत,
ऐसे ही काश बनी रहती,अजर,अमर हमारी मूरत।।

©मधुमिता 

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