Saturday 3 September 2016

ज़िन्दगी. ..




ज़िन्दगी नाम है खुशियों का,
अल्हङ सी मस्तियों का,
नादान सी शैतानियों का,
खूबसूरत सी नादानियों का।



ज़िन्दगी है खट्टे मीठे बचपने का,
स्वाद चोरी के अचार और चटनी का,
ऊँचे मुंडेरों पर चढ़ बर्नियाँ खोलने का,
माँ की आहट सुन,धम्म से नीचे गिर जाने का।



ममता भरी गोद है ज़िन्दगी,
पापा की वो डाँट है ज़िन्दगी, 
भाई की तोतली ज़ुबान है ज़िन्दगी,
दादी की झुकी पीठ का बयान है ज़िन्दगी।



किशोरों की जिज्ञासा है ज़िन्दगी,
जीने की आशा है ज़िन्दगी, 
जवानी का जोश है ज़िन्दगी, 
मुहब्बत मदहोश सी है ज़िन्दगी ।



ज़िन्दगी पर्वत की ऊँचाई है,
सागर की गहराई है,
मौजों की मदमस्त रवानी है,
कभी आंधी, तो कभी तुफान है ।
    


कभी ठंडी सी बयार है ज़िन्दगी,
कभी बरखा की बौछार है ज़िन्दगी, 
कहीं लहलहाती है ज़िन्दगी, 
कहीं बंजर, उजाङ है ज़िन्दगी । 



कभी रुकी हुई,सुस्ताती सी ज़िन्दगी,
कभी बेधङक, बेलगाम भागती सी ज़िन्दगी,
कभी भूखी, प्यासी, तङपती सी ज़िन्दगी,
कभी नंगे बदन,ठिठुरती, काँपती सी ज़िन्दगी ।  



कभी मुस्कराती सी ज़िन्दगी,
कभी रुलाती हुई ज़िन्दगी, 
कभी खेल सी ज़िन्दगी, 
कभी ठोकर मारती ज़िन्दगी । 



ज़िन्दगी कभी नाराज़ नही होती,
ज़िन्दगी दग़ाबाज़ नही होती, 
वो तो नाम  है  हर  खुशी का, 
प्यार और गर्मजोशी का,
बस हम पगले ही, कभी-कभी 
खुशफहमी पाल लेते हैं यूँ ही,
हमारी ज़िन्दगी के उदास होने का,
इस मदमस्त, हसीन ज़िन्दगी के नाराज़ होने का !!!

©मधुमिता

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