Sunday 26 August 2018

इश्क हैं हम...


नर्म सी
कुछ गर्म सी
मीठी सी
मदहोश भी
मासूमियत से लबरेज़
मेहरबां जो हम हो जायें
जहाँ सारा सँवर जायें 
दिलेर हैं
बहादुर भी 
गर्मजोशी 
हममें हर पल है बह रही
नज़ाकत से सज धज
नीले आसमाँ को कभी छू आतें
कभी मदमस्त हवाओं को चूम आतें
फ़िक्र भी हम 
सुकून भी 
ख़लिश भी हम
मेहरबानी भी 
मासूमियत 
और नादानी भी 
ज़हीन भी 
हसीन भी
सुलगते जज़्बातों में हम
बहकते अंदाज़ों में हम
बेख़ौफ़ आते जाते
दिलों को हम चुरा लाते 
ख़्वाब भी हम
हम ही है हकीकत 
खुशी और खुशबू भी 
रंग और मौसीकी भी 
इश्क हैं हम
मुहब्बत आपकी
आपकी आशिकी
इस दुनिया में आपके
हम सा ना कोई 

©®मधुमिता

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