Wednesday 13 July 2016

जलन

मै कभी भी तुमसे परेशान नही हो सकता,
कभी नही,किसी सूरत मे भी नही।
तुम कभी मुझे हैरान नही कर सकती,
गर ऐसा हुआ, तो बहुत हैरानी होगी।
तुम चाहे कुछ भी करो मुझे नाराज़ करने को,
मै तुमसे कभी भी रूठ सकता नही।
तुम कितनी भी कोशिशें कर लो मुझे जलाने की,
कोई जलन कभी मुझे छू भर भी सकती नही।


तुम चाहे किसी गैर के साथ आओ,
किसी भी पुरुष के साथ जाओ,
चाहे हज़ारों लब तुम्हारे जुल्फों में दिखें,
या सैंकडो दिल तुम्हारे सीने में बसे,
चाहे कितने ही आशिक तुम पर हों फ़िदा, 
अपना दिल लिये बैठे रहें, तुम्हारे कदमों में सदा,
तुम उफनती नदी की तरह ,
इन दिलों के बीच डूबो,उतरो किसी भी तरह,
अपनी अल्हङ जवानी के ज्वारभाटे मे,
इन दिलों से विनाश के खेल से
खेलती,तूफ़ानी,बरसाती नदी सी,
हर उस शख्स को खुद मे समेटती सी,
कहीं दूर बहा कर ले जाओ,
जीत पर अपनी इतराओ,
अट्टहास करती,मानो पगली सी धार,
खेलो तुम इनसे,अपने खेल हज़ार, 
समय के हरपल बदलते चादर तले,
तुम्हारी चाह मे,चाहे कितने भी दिल जले, 
मै नही जलूँगा फिर भी,
मिलूँगा तुम्हे यहीं पर ही।


मै चुप देखता जाऊँगा,
मुँह से अपने, कुछ भी ना कभी मै बोलूँगा,
तुम चाहो तो ले आना उन सबको,
रोकूँगा नही तुमको,
उन सबके बीच महसूस कर पाऊँगा सिर्फ तुमको,
इन व्याकुल सी बाँहों में भर लूँगा तुमको,
तुम्हे पाने को मै सदा तङपता रहूँगा ,   
खामोश सा, यूँही, बस इंतज़ार तुम्हारा करता रहूँगा।


फिर तुम आना जब तुम अकेली रह जाओगी,
अपनी कूद फाँद से,थकी सी।
जब हम दोनों ही होंगे, 
सिर्फ मै और तुम, अकेले से।
फिर हम दोनों एक हो जायेंगे, 
बसायेंगे एक दुनिया,नयी सी।
तब तक मै शांत,शीतल सा जलता रहूँगा,
तुम्हारे प्रेम अग्न में, नही किसी जलन से।।

©मधुमिता

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