Sunday 18 March 2018

कहो तो तुम क्या हो!



रेशम सा सहला जाते हो,
ठंडी हवा सा सिहरा जाते हो,
इत्र की महक हो!
हो शहद की मिठास!
कुछ तीखे से,
कुछ नमकीन,
बारिश की बूंदों सा
भिगो जाते हो,
मनचले बादल सा
फिर फिर उड़ आते हो,
खुली आँखों से देखा ख़्वाब हो,
सवाल कभी, तो कभी जवाब हो,
उलझन हो,
सुकून हो,
साँस हो,
आस हो,
हर पल रहते आसपास हो!
कौन हो?
क्या हो?
एक अहसास हो महज़,
या कोई सच हो?
कहो तो तुम क्या हो!

©®मधुमिता 

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