Monday 13 February 2017

मेरे होंठों का लरजना तुम सुन लो. ..



मेरे होंठों का लरजना तुम सुन लो, 
इस बेताब दिल का धड़कना तुम सुन लो।

धधकती साँसों को महसूस तुम कर लो,
मचलते जज़्बातो को ज़रा तुम थाम लो।

बेरंग मंज़र को मुहब्बत से रंगीन तुम कर दो,
इश्क की सुर्ख़ी मेरे दिल में तुम भर दो।

बेलगाम हसरतों को अपनी आग़ोश में तुम ले लो,  
मदहोश हूँ मैं, अपने पहलु में तुम छुपा लो।

मेरे पलकों से चंद मोती तुम चुन लो,
कुछ ख़्वाब संग मेरे तुम बुन लो।

इश्क की बहती हवा को इक नया मोड़ तुम दो,
मुहब्बत की राह पर पैरों के निशां तुम छोड़ दो। 

मौसम ने बिखेरे हैं मुहब्बत के रंग, कुछ रंग तुम चुरा लो,
वीरान सी ज़िन्दगी में मेरी, अपनी आशिकी के रंग तुम फैला दो।

अनकहे लफ़्ज़ों को तुम पढ़ लो,
ख़ामोश से मेरे अल्फ़ाज़ों को तुम सुन लो।

मेरी जुम्बिश ए लब ज़रा तुम देख लो,
इन लबों की थरथराहट का तुम अहसास कर लो।

अनकहे लफ़्ज़ों को तुम पढ़ सको तो पढ़ लो,
ख़ामोश से मेरे अल्फ़ाज़ों को ज़रा तुम सुन लो।

मेरे होंठों का लरजना तुम सुन लो, 
इस बेताब दिल का धड़कना तुम सुन लो।

©मधुमिता

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