Thursday 12 May 2016


दूर ना जाना


कभी भी इतनी दूर  ना मुझसे जाना,
कि मुश्किल हो जाये पास आना,
बहुत लम्बी होती है एक दिन की दूरी भी
जब बैठी रहूँ मैं इंतज़ार में,कुछ बेइख़्तियारी सी भी
है, जब चिराग की लौ भी टिमटिमाने लगे
और चांदनी भी कुछ धुंधलाने लगे ,
जब सो जाये दुनिया सारी,
तब रात काटना हो जाये भारी,
हर पल दिल को तेरी ही चाहत है, 
हर आवाज़ लगती,तेरे पैरों की आहट है।

कोने में धीमियाती अंगीठी, 
जब घूरे मुझको ,गुस्से में, रूठी
सी,मेरे बहते आँसूं भी उसे पिघला ना पाये,
बेदर्द दहक दहक कर मुझे जला जाये,
उसकी धुँए की धारा मेरी नज़र को जलाने लगे,
घोंट मेरी साँसों  को,कुछ यूँ मेरा गला दबाने लगे,
तुझसे दूरी शायद उसको भी खलती है,
कमबख्त उस बात का बदला भी मुझ ही से लेती है, 
आ जाना इन आँखों में आँसूं सूखने से पहले,
इस मासूम से मेरे दिल  के टूटने से पहले।

खिङकी पर बैठी मैं ताकती हूँ बाहर,
दूर कहीं धुंधली सी तेरी तस्वीर आती है नज़र,
तेरे दिल के धङकनों की तरंगें मुझे छूने लगती हैं,
जैसे पानी की लहरें धरती को छूती हैं, 
नम आँखें मेरी  टिक जाती है तुझ पर,
ओस की बूंद हो जैसे किसी पत्ते पर,
हर क्षण करती मुझमें, तेरा ये इंतज़ार,
एक अनोखा,जादुई सा जीवन संचार, 
आ जाना सितारों के डूबने से पहले ही,
इन थकी आँखों के मेरे मूंदने से पहले ही।

तेरे आने से पहले गर मेरी ये आँखें बंद हो जायेंगी,
तो दूरियाँ और भी लम्बी सी हो जायेंगी, 
दोनों के दरमियाँ ना मिटने वाले फ़ासले होंगे,
दोनों की दुनिया भी अलग अलग होंगे, 
मैं ना रहूँगी,पर दिल मेरा घूमता रहेगा यहीं,
ढूढ़ता रहेगा तुझको हर कहीं, 
मिलने को तुझसे हरदम बेकरार,
कहने को तुझसे यही बारबार,   
कि कभी भी इतनी दूर  ना मुझसे जाना,
कि मुश्किल हो जाये हमारा पास आना।।

-मधुमिता 

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