थोड़ा और सही!
ऐ दिल चल थोड़ा और जी ले अभी,
कांटों की चुभन सह ले थोड़ा और सही!
ग़म के बादल अभी छंटें नही,
तेरे नसीब की खुशियां अभी बंटी नही l
बौने पड़ जाएंगे ये दुःख के पहाड़,
ये जीवन बंजर,बीहड़, उजाड़ l
इन गहन काले बादलों के पार,
है रोशनी की अनन्त चमकार,
चल करलें,उसी का थोड़ा सब्र से इन्तज़ार,
तो क्यों ना जारी रखे, यूं ही, ये अपना संसार l
चलो साथ सहलें थोड़ी और चुभन अभी,
ऐ दिल चल थोड़ा सा और यूं ही जी ले सही ll
- मधुमिता
No comments:
Post a Comment