shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Wednesday, 13 April 2016
प्यार
स्याह,अंधियारी,सर्द चादर
के नीचे, गर्माते से
सपनो के हसीन रंग,
शरमाती ये नज़रें ,
जलतरंग है अंग l
मदहोशी का अहसास,
तोसे मिलन की आस,
साँसों की झंकार
कहे ये बारम्बार ,
हाँ यही है , यही तो है प्यार ll
मधुमिता
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