मौत
मौत तो मौत होती है,
ज़िन्दगी की सौत होती है l
ऐसी हक़ीकत जो हमेशा से यूं ही खड़ी है,
मुई सांसों को अपनी आज़ादी की पड़ी है ।
क्या बड़ा ,क्या छोटा,
क्या पतला, क्या मोटा,
क्या अमीर, क्या ग़रीब,
एक ही से सब, एक दूजे के करीब।
सबको एक ही मिट्टी में है मिल जाना ,
शैतान या फ़रिश्ता,सबको एक सा हो जाना ।
क्या फ़र्ज़,क्या हक़, क्यों , कैसे, कौन, कहां,
क्यूं , अब मौत में भी फ़र्क करने लगा इंसां !!
-मधुमिता
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