हाँ यही है प्यार
स्याह,अंधियारी,सर्द चादर
के नीचे, गर्माते से
सपनो के हसीन रंग,
शरमाती ये नज़रें ,
जलतरंग है अंग l
हलचल से मचाते कुछ जज़्बात,
आँखें करती आँखों से बात,
शबनमी सी साँसें,
गुलाबी सा मौसम ,
उलझीं जो ये नज़रें तोसे।
दिल से यूँ दिल का खिंचाव ,
है नसीबों का अजीबोगरीब जुङाव,
प्रीत के धागे जो तुमसे उलझे,
अब तुम्ही सुझाओ
कि ये कैसे सुलझे ।
बहकी बहकी सी मैं फिरूँ,
चहकती-लहकती सी मैं रहूँ,
अजीब नशे में मै डूब रही,
सम्भलने की लाख़ कोशिश करूँ,
फिर भी मैं लङखङा रही ।
दिल गुलज़ार है,
दबे से इज़हार हैं,
सितारे आसमां से देखते हैं,
मै ठहर सी जाती हूँ,
जब हर तरफ जुगनू से जलते हैं ,
कुछ सोचे सूझता नही,
कुछ कहते भी बनता नही,
आह सी कमबख़्त निकल आती है,
तेरी तस्वीर देख ,
सादी सी शक्ल भी मेरी, खुदबखुद संवर जाती है।
मदहोशी का रुमानी अहसास,
तोसे मिलन को तकती हर आस,
साँसों की लयबद्ध झंकार
कहे जा रही ये बारम्बार ,
हाँ यही है, यही तो है प्यार ll
-मधुमिता
स्याह,अंधियारी,सर्द चादर
के नीचे, गर्माते से
सपनो के हसीन रंग,
शरमाती ये नज़रें ,
जलतरंग है अंग l
हलचल से मचाते कुछ जज़्बात,
आँखें करती आँखों से बात,
शबनमी सी साँसें,
गुलाबी सा मौसम ,
उलझीं जो ये नज़रें तोसे।
दिल से यूँ दिल का खिंचाव ,
है नसीबों का अजीबोगरीब जुङाव,
प्रीत के धागे जो तुमसे उलझे,
अब तुम्ही सुझाओ
कि ये कैसे सुलझे ।
बहकी बहकी सी मैं फिरूँ,
चहकती-लहकती सी मैं रहूँ,
अजीब नशे में मै डूब रही,
सम्भलने की लाख़ कोशिश करूँ,
फिर भी मैं लङखङा रही ।
दिल गुलज़ार है,
दबे से इज़हार हैं,
सितारे आसमां से देखते हैं,
मै ठहर सी जाती हूँ,
जब हर तरफ जुगनू से जलते हैं ,
कुछ सोचे सूझता नही,
कुछ कहते भी बनता नही,
आह सी कमबख़्त निकल आती है,
तेरी तस्वीर देख ,
सादी सी शक्ल भी मेरी, खुदबखुद संवर जाती है।
मदहोशी का रुमानी अहसास,
तोसे मिलन को तकती हर आस,
साँसों की लयबद्ध झंकार
कहे जा रही ये बारम्बार ,
हाँ यही है, यही तो है प्यार ll
-मधुमिता
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