Thursday, 28 April 2016

कुछ बीते हुये दिन,कुछ अधूरे से वादें

कुछ बीते हुये वो दिन,
कुछ भूली बिसरी यादें,
कुछ पुराने से पलछिन,
कुछ अधूरे से वादें ।।

याद बहुत अाते हैं वो बीते हुए पल,
वो मीठा सा रिश्ता,वो प्यार निश्छल,
वो हमारा तुमको देख इतराना
और तुम्हारा शरारत भरी नज़रों से मुस्कुराना।।

किसी ना किसी बहाने हमारा छत पर जाना,
पीछे पीछे हमारे, तुम्हारा भी वहीं आना,
वो गुलाबी सा हर आलम,
साथ आता हर दूसरा जब लगता था ज़ालिम।।

वो तुम्हारे नाम की ओढ़नी हरी,
तुम्हारे प्यार की सौगात,लाल चूङी, 
सब कुछ आज भी रखा है सम्भाले, 
दिल है आज भी तुम्हारे हवाले ।।

माथे पर सजती बिंदु लाल,
हमारी लहराती सी चाल, 
कदमों में हमारी बला की नज़ाकत, 
तुम्हारे अदाओं की नाज़ुक नफ़ासत।।

सिले हुए से दो लब हमारे, 
गीले से वो लफ़्ज़ तुम्हारे,
रोम रोम भीगो जाते थे,
एक दूजे में हम समा जाते थे।।

ना अपना होश,ना औरों की खबर,
दो दिल एक दूजे में खो जाने को बेसब्र,
कानों में फुसफुसाते,कुछ वादे,
बांटने सब दुःख दर्द आधे आधे।।

फिर इक दिन ऐसी हवा चली,
सारे सपने और अरमान ले उङी,
जाने नज़र लगी किसकी,
साथ रह गए तमाम आँसूं और सिसकी।।

आओ वो पल फिर जी लें हम,
वादों को पूरा कर लें हम,
बीते दिन फिर ताज़ा करें,
वो सोया प्यार, ज़िन्दा करें ।।

फिर ओढ़ें हम हरी ओढ़नी, 
तुम्हारे नाम की बने बावरी,
सिंदूरी बिंदी माथे सजे,
हाथों में लाल चुङियाँ बजे।।

मौसम हो शराबी, 
मदमस्त माहौल गुलाबी, 
एक दूजे में फिर खो जायें हम,
हर दर्द सब पुराने भुलाकर हम।।

सपनों का संसार सजा लें, 
खुशियों के बाज़ार लगा लें, 
रंगीन सपनों की रोशनी में, 
खूबसूरत सी हम दुनिया बसा लें।।

आओ जी आयें कुछ बीते हुये वो दिन,
कुछ भूली बिसरी यादें,
कुछ पुराने से पलछिन,
और पूरे कर आयें,कुछ अधूरे से वादें ।।

-मधुमिता

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