अहसास
नज़र तुमको तलाशती है ,
मगर तुम नहीं मिले यहाँ,
यहाँ वहाँ हर कहीं ,
तुमको यूँ खोजती रही ,
पर दिल को है यक़ीं,
हो तुम यहीं।
है तुम्हारे होने का अहसास, कहीं
मेरे आस पास मुस्कुराते यूँहीं ,
एक बात जानलो तुम ,
जो मै कहूँ वो मानलो तुम,
आसमाँ में चमकते ,
चाँद में तुम दिखते हो ,
पेड़ों के झुरमुट से झांकते हो।
बसंत के फूलों में,
एकांत में, मेलों में ,
शरद की धूप में,
हर किसी रूप में ,
है तुम्हारे होने का अहसास।
दिल कि हर धड़कन में ,
हर एक स्पंदन में ,
संगीत में ,
हर गीत में,
आरोह में और
अवरोह में ,
थाप में और ताल में ,
खामोशी के अंतराल में,
है तुमको सुनने का अहसास।
हर ज़र्रा , हर गली,
हर तितली, हर कली,
हर रोशनी , हर चमक ,
हर हवा , हर महक ,
मुझे बस बहा ले आती है ,
बस उसी ओर लिये जाती है,
जहाँ तुम हो , हाँ सिर्फ तुम ही हो।।
-मधुमिता
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