सुकून से सो जाऊँगी
खाली कमरे की मानिंद ,
खाली सा दिल लिए
करती हूँ इंतज़ार तुम्हारा ।
खुली खिड़कियाँ ,
खुले दरवाज़े भी बाट
देख देख थक गए ।
रात की चादर भी,
हौले हौले,सरकते
हुये ढलने लगी ।
सितारे भी टिमटिमा
टिमटिमाकर,थक कर
अब सोने चले ।
हवा भी धीमे धीमे,
चलते चलते अब
देखो, रूख़ बदलने लगी ।
चाँद भी तुम्हारी राह देख
देख, अब बादलों के
झुरमुट में जा छुपा ।
जुगनू भी तुमको
हर ओर ढूढ़ ढूंढ़,
जल जल मरे ।
पलकें नींद से भारी हुई जातीं हैं
मौत भी मुझे आगोश
में लेने को, दीवानी हुई जाती है ।
अब तो आ जाओ, कि
अबतो निगाहें भी
बंद हुई जातीं हैं ।
देखो मेरी ओर भी दो घडी ,
इस दिल में बनालो
फिर से बसेरा अपना ।
फिर जी लूँ मैं ज़रा,
तुम्हारा दीदार कर लूँ नज़र भर,
घङी दो घङी को ही सही ।
तुम्हें नज़रों में बंद कर चली जाऊँगी,
ज़िन्दगी पूरी, दो घङी में जी जाऊँगी,
इस दिल में तुमको बसाकर,फिर सुकून से सो जाऊँगी ।
फिर सुकून से हमेशा को सो जाऊँगी ।।
-मधुमिता
खाली कमरे की मानिंद ,
खाली सा दिल लिए
करती हूँ इंतज़ार तुम्हारा ।
खुली खिड़कियाँ ,
खुले दरवाज़े भी बाट
देख देख थक गए ।
रात की चादर भी,
हौले हौले,सरकते
हुये ढलने लगी ।
सितारे भी टिमटिमा
टिमटिमाकर,थक कर
अब सोने चले ।
हवा भी धीमे धीमे,
चलते चलते अब
देखो, रूख़ बदलने लगी ।
चाँद भी तुम्हारी राह देख
देख, अब बादलों के
झुरमुट में जा छुपा ।
जुगनू भी तुमको
हर ओर ढूढ़ ढूंढ़,
जल जल मरे ।
पलकें नींद से भारी हुई जातीं हैं
मौत भी मुझे आगोश
में लेने को, दीवानी हुई जाती है ।
अब तो आ जाओ, कि
अबतो निगाहें भी
बंद हुई जातीं हैं ।
देखो मेरी ओर भी दो घडी ,
इस दिल में बनालो
फिर से बसेरा अपना ।
फिर जी लूँ मैं ज़रा,
तुम्हारा दीदार कर लूँ नज़र भर,
घङी दो घङी को ही सही ।
तुम्हें नज़रों में बंद कर चली जाऊँगी,
ज़िन्दगी पूरी, दो घङी में जी जाऊँगी,
इस दिल में तुमको बसाकर,फिर सुकून से सो जाऊँगी ।
फिर सुकून से हमेशा को सो जाऊँगी ।।
-मधुमिता
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