Thursday, 21 April 2016

सुकून से सो जाऊँगी 




खाली  कमरे   की  मानिंद ,
खाली  सा  दिल  लिए 
करती  हूँ  इंतज़ार  तुम्हारा ।

खुली  खिड़कियाँ ,
खुले  दरवाज़े  भी बाट
देख   देख  थक   गए ।

रात की चादर भी,
हौले हौले,सरकते 
हुये ढलने लगी ।

सितारे भी टिमटिमा
टिमटिमाकर,थक कर
अब सोने चले ।

हवा भी धीमे धीमे,
चलते चलते अब 
देखो, रूख़ बदलने लगी ।

चाँद भी तुम्हारी राह देख 
देख, अब बादलों के 
झुरमुट में जा छुपा ।

जुगनू भी तुमको
हर ओर ढूढ़ ढूंढ़,
जल जल मरे ।

पलकें नींद से भारी हुई जातीं हैं 
मौत भी मुझे आगोश 
में लेने को, दीवानी हुई जाती है ।   

अब  तो   आ  जाओ, कि  
अबतो  निगाहें  भी  
बंद  हुई  जातीं  हैं ।

देखो  मेरी ओर भी दो घडी , 
इस  दिल  में  बनालो 
फिर से बसेरा  अपना ।

फिर जी लूँ मैं ज़रा,
तुम्हारा दीदार कर लूँ नज़र भर,
घङी दो घङी को ही सही ।

तुम्हें नज़रों में बंद कर चली जाऊँगी,
ज़िन्दगी पूरी, दो घङी में जी जाऊँगी, 
इस दिल में तुमको बसाकर,फिर सुकून से सो जाऊँगी ।
फिर सुकून से हमेशा को सो जाऊँगी ।।

-मधुमिता

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