वक्त
मरहम नही लगाता है वक्त,
एक सा नही रहता है वक्त,
ना करे प्यार,
ना छिपकर वार,
पर हर बदलते दिन के साथ,
जैसे भूलती बीती बात,
हर ज़ख़्म भुला देता है वक्त ,
कुछ और जान फूंक जाता है वक्त।।
©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य
मरहम नही लगाता है वक्त,
एक सा नही रहता है वक्त,
ना करे प्यार,
ना छिपकर वार,
पर हर बदलते दिन के साथ,
जैसे भूलती बीती बात,
हर ज़ख़्म भुला देता है वक्त ,
कुछ और जान फूंक जाता है वक्त।।
©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य
No comments:
Post a Comment