Friday, 21 April 2017


मीरा



मै हूँ मीरा,
दादी की आँखों का तारा,
देखती हूँ सबको होकर विस्मित,
अपलक और चकित,
भर लेती हूँ इन आँखों में रंग सभी,
समेट लेती हूँ मुस्कान तुम सबकी

©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य




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