shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Wednesday, 12 April 2017
किस्मत
पेशानी पर होती है लकीरें किस्मत की,
दर्ज होती है तरन्नुम ज़िन्दगी की,
मेरी लकीरें तो तेरी लकीरों से जा जुड़ी हैं,
बता तो अब किस्मत किसकी?
©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य
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