shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Thursday, 13 April 2017
स्वर्णिम
सुनहरा आँचल,
सुनहरा आसमान,
स्वर्णिम क्षितिज ,
सुनहरा सा गीत तेरा
ओ रे माझी! खिंचे तू मेरी डोर
लहरों संग किस ओर।।
©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य
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