shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Saturday, 8 April 2017
नूर
जज़्ब हो गया चेहरा उसका
दिल की रानाईयाँ भी रौशन हुईं,
रोशनी नसों में थिरकने लगी,
ज़र्रे ज़र्रे से नूर टपकने लगा,
इक नूर आसमां मे है
इक नूर मेरे दिल ही मे है।।
©मधुमिता
#सूक्ष्मकविता
#micropoetry
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