Saturday, 17 June 2017

ख़्वाबों का इक पुल 



मेरी हथेलियों की लकीरों से
तेरी हथेलियों की लकीरों तलक
ख़्वाबों का इक पुल बांधा है,
रेशमी अहसास के धागों से,
सतरंगी बुलबुलों से नाज़ुक 
कुछ जज़्बात टाँके है,
पलकों से इन्हे बुहारती हूँ,
आस की देहरी पर 
जब तेरी राह निहारती हूँ ।।

©मधुमिता

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