ख़्वाबों का इक पुल
तेरी हथेलियों की लकीरों तलक
ख़्वाबों का इक पुल बांधा है,
रेशमी अहसास के धागों से,
सतरंगी बुलबुलों से नाज़ुक
कुछ जज़्बात टाँके है,
पलकों से इन्हे बुहारती हूँ,
आस की देहरी पर
जब तेरी राह निहारती हूँ ।।
©मधुमिता
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