Tuesday, 4 October 2016

जय जवान! 



अंधेरी गलियारों में, 
गली मुहल्ले की दीवारों पे,
चिन्ता की लकीरें 
खींची हुई हैं,
ग़म की लहर दौङ रही है,  
तनी हुई है भौहें, 
चौङे सीने धङक रहे हैं, 
मज़बूत बाजू फङक रहे हैं,
लेने को बदला,
हर एक जान की कीमत का,
करने को हिसाब,
मांगने को जवाब 
अपने जांबाज़ों के मौत का,
हर एक खून के कतरे का,
जो बहा है मादरे वतन के लिए
सीने ताने हुए;
सरहद की रक्षा उनकी ज़िम्मेदारी थी,
भारत माता जो उनको प्यारी थी,
कुछ सूरज उगते ही शहीद हो गये,
कुछ रात के अंधेरों में खो गये,
खुद तो मिट गये,
साथ दुश्मन को भी मिटा गये,
देश को मगर ना मिटने दिया,
तिरंगे को ना झुकने दिया।


हर आँख में आँसू हैआज,
हर शहीद देता आवाज़, 
देश की रखो शान,
हमारे खूं का रखो मान,
एक हो जाओ देशवासियों,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाईयों,
दुश्मन को तभी हरा पाओगे,
देश का गौरव बढ़ा पाओगे।


हर ओर से आती है मिलकर एक आवाज़,
अमर है हर शहीद, हर जांबाज़,  
जय हिंद का जवान!
जय भारत! जय हिंदुस्तान!


©मधुमिता  

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