मुहब्बत अभी बाकी हैं ....
रूह मेरी तेरे अहसानों के तले दबी जाती है,
ऐ ज़िन्दगी,फिर भी एक अहसास है जो ना रूकती है
ना थमती है पर बढ़ती ही चली जाती है
दो हाथ बढ़ाती हूँ तेरी जानिब लेकिन,
कोई ज़ंजीर सी ना जाने क्यूँ पैरों को जकङ जाती है....
बसी हुई है मेरे दिल में सूरत जिसकी
वो जिसे मुझसे ना कोई वास्ता,
ना मेरे होने, ना होने से वाबस्ता,
ना रूठना मनाना,ना शिकवा,ना शिकायत
ऐ मुहब्बत,तू कैसी हसीं सी है रिवायत
ना पाने को दिल मचले, ना खोना मंज़ूर
बिन तेरे ज़िन्दगी है बेमायने, पर जीने को हैं मजबूर।
उनका नाम होंठो पे है,और अपनी जान अभी बाकी हैं,
जो देखकर भी मुंह फेर लेते हैं वो,तो क्या गुस्ताखी है!
लब उनके मेरा नाम ना लें तो क्या
उनकी वो हसीं मुस्कान अभी बाकी है,
तसल्ली रखती हूँ ऐ नादाँ दिल क्यूंकि
इस सूरत की पहचान अभी बाकी है,
इस तनहा दिल की रानाईयों में उनकी
मुहब्बत के सारे निशाँ अभी तलक बाकी हैं ....
©मधुमिता
रूह मेरी तेरे अहसानों के तले दबी जाती है,
ऐ ज़िन्दगी,फिर भी एक अहसास है जो ना रूकती है
ना थमती है पर बढ़ती ही चली जाती है
दो हाथ बढ़ाती हूँ तेरी जानिब लेकिन,
कोई ज़ंजीर सी ना जाने क्यूँ पैरों को जकङ जाती है....
बसी हुई है मेरे दिल में सूरत जिसकी
वो जिसे मुझसे ना कोई वास्ता,
ना मेरे होने, ना होने से वाबस्ता,
ना रूठना मनाना,ना शिकवा,ना शिकायत
ऐ मुहब्बत,तू कैसी हसीं सी है रिवायत
ना पाने को दिल मचले, ना खोना मंज़ूर
बिन तेरे ज़िन्दगी है बेमायने, पर जीने को हैं मजबूर।
उनका नाम होंठो पे है,और अपनी जान अभी बाकी हैं,
जो देखकर भी मुंह फेर लेते हैं वो,तो क्या गुस्ताखी है!
लब उनके मेरा नाम ना लें तो क्या
उनकी वो हसीं मुस्कान अभी बाकी है,
तसल्ली रखती हूँ ऐ नादाँ दिल क्यूंकि
इस सूरत की पहचान अभी बाकी है,
इस तनहा दिल की रानाईयों में उनकी
मुहब्बत के सारे निशाँ अभी तलक बाकी हैं ....
©मधुमिता
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