नयी तस्वीर. ..
रात के आँचल से सितारों की चमकार समेट लो,
कुछ स्याही भी चुरा सको, तो चुरा लो,
कल भोर के पटल पर जो दिन छुपा होगा,
उसे सितारों की सी चमक से चौंधियाना भी तो है
और स्याही को ही तो लिखना है फसाना आगे ।
कई नयी तस्वीरें भी जो हैं बनाने को,
दिन के हर रंग के साथ सिमटकर,
सारे अहसासों को उन संग घोलकर,
कुछ प्रेम-प्यार के छींटों में रचकर,
लम्हा-लम्हा,मंज़र दर मंज़र....।।
©मधुमिता
रात के आँचल से सितारों की चमकार समेट लो,
कुछ स्याही भी चुरा सको, तो चुरा लो,
कल भोर के पटल पर जो दिन छुपा होगा,
उसे सितारों की सी चमक से चौंधियाना भी तो है
और स्याही को ही तो लिखना है फसाना आगे ।
कई नयी तस्वीरें भी जो हैं बनाने को,
दिन के हर रंग के साथ सिमटकर,
सारे अहसासों को उन संग घोलकर,
कुछ प्रेम-प्यार के छींटों में रचकर,
लम्हा-लम्हा,मंज़र दर मंज़र....।।
©मधुमिता
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