मेरे पड़ोस के शर्मा जी
मेरे पड़ोस के शर्मा जी,
ताड़ते रहते बीवी वर्मा की,
जब मिसेस आती चाय लेकर चुपके से,
शक्ल बनाते मासूम सी,
चुस्की के साथ पी जाते अपने अरमान भी...।
ऑफिस में बड़े ही जेंटल जी,
बीवी को बताते ज़रा मेंटल भी,
सुनकर उनकी दुखभरी दास्ताँ
सारी की सारी मेनका,रम्भा सुंदरियाँ
छिड़कती उनपे अपनी जान..।
एक इस बाजू, दूजी उस बाजू,
एक किशमिश,तो दूजी काजू,
शर्मा जी की दसों घी में,
अरमान हो गए बेकाबू,
सनक से गए, बदहवास,बेलगाम सारे आरज़ू।
अरे शर्मा जी! ज़रा बाज़ आओ,
अपनी हरकतों पे ना यूँ इतराओ,
कहाँ मुह छुपाओगे,प्यार,मुहब्बत ,इश्क क्या यूँ झटकाओगे,
सेक्सुअल हरास्मेंट के बहानों का है ज़माना,
जे मैडम जी बिटर गयीं तो दहेज़,अवहेलना और प्रताड़ना।
चालीस की उम्र क्या पार हुई,
फ़िक्र तो आपकी बेख़ौफ़ हुई!
अपनी उम्र का कुछ लिहाज़ रखो,
अपनी इज्ज़त है अपने हाथ, उसे याद रखो,
बाहरवाली तो ड्रीम्ज़ की बात है,
शोभा आपकी घरवाली के ही साथ है...।।
©मधुमिता
मेरे पड़ोस के शर्मा जी,
ताड़ते रहते बीवी वर्मा की,
जब मिसेस आती चाय लेकर चुपके से,
शक्ल बनाते मासूम सी,
चुस्की के साथ पी जाते अपने अरमान भी...।
ऑफिस में बड़े ही जेंटल जी,
बीवी को बताते ज़रा मेंटल भी,
सुनकर उनकी दुखभरी दास्ताँ
सारी की सारी मेनका,रम्भा सुंदरियाँ
छिड़कती उनपे अपनी जान..।
एक इस बाजू, दूजी उस बाजू,
एक किशमिश,तो दूजी काजू,
शर्मा जी की दसों घी में,
अरमान हो गए बेकाबू,
सनक से गए, बदहवास,बेलगाम सारे आरज़ू।
अरे शर्मा जी! ज़रा बाज़ आओ,
अपनी हरकतों पे ना यूँ इतराओ,
कहाँ मुह छुपाओगे,प्यार,मुहब्बत ,इश्क क्या यूँ झटकाओगे,
सेक्सुअल हरास्मेंट के बहानों का है ज़माना,
जे मैडम जी बिटर गयीं तो दहेज़,अवहेलना और प्रताड़ना।
चालीस की उम्र क्या पार हुई,
फ़िक्र तो आपकी बेख़ौफ़ हुई!
अपनी उम्र का कुछ लिहाज़ रखो,
अपनी इज्ज़त है अपने हाथ, उसे याद रखो,
बाहरवाली तो ड्रीम्ज़ की बात है,
शोभा आपकी घरवाली के ही साथ है...।।
©मधुमिता
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