कई सपनें, कुछ साँसें. ...
कुछ कदम सन्नाटे के,
कुछ यादों के साये,
कई दिन उखङे-उखङे,
कई वीरान सी रातें।
कुछ लफ़्ज़ अनबोले,
कुछ हर्फ़ अनलिखे,
कई पुराने से पन्ने,
कई ख़त पुराने।
कुछ अहसास दबे से,
कुछ भावनायें सहमी सी,
कई कल्पनायें रंगीन,
कई विचार संगीन।
कुछ चमकते से सितारे,
कुछ मदहोश से नज़ारे,
कई अंधियारी रातें,
कई चुभती सी बातें ।
कुछ पल नीम से,
कुछ साँसें शूल सी ,
कई दिन पहाङ से,
कई पल उजाङ से।
जी रही हूँ एक ज़िन्दगी बोझिल सी ,
ले रही हूँ साँसें मैं उधार की,
तेरी यादों के नश्तर चुभते हैं रात दिन
कई ताज़ा घाव दे जाते हैं हर दिन।
कई घाव हैं रिसते हुए,
कुछ साँसों को घसीटते हुए
ले जाते मौत की ओर,
तोङ हर बंधन, हर डोर।
कुछ सपनें साँसें लेती,
कई क्षण आवाज़ें देतीं,
एक दिल मेरा लहु से भरा,
हुआ बैठा था कबका तेरा।
कुछ तेरी सूरत की आस थी,
कुछ तेरे मिलने की प्यास थी,
कई बातें जो रह गई थीं बताने को,
कई अहसास जो थे जताने को।
कुछ टूटती साँसें रह गईं अब बस,
कुछ बेरंग से रंग,कुछ नीरस से रस,
कई बेदर्द से दर्द दिल में छुपा ले जाती हूँ,
कई धुंधले से सपने लिए नैनों में, इन आँखों को मूंद जाती हूँ ।।
©मधुमिता
कुछ कदम सन्नाटे के,
कुछ यादों के साये,
कई दिन उखङे-उखङे,
कई वीरान सी रातें।
कुछ लफ़्ज़ अनबोले,
कुछ हर्फ़ अनलिखे,
कई पुराने से पन्ने,
कई ख़त पुराने।
कुछ अहसास दबे से,
कुछ भावनायें सहमी सी,
कई कल्पनायें रंगीन,
कई विचार संगीन।
कुछ चमकते से सितारे,
कुछ मदहोश से नज़ारे,
कई अंधियारी रातें,
कई चुभती सी बातें ।
कुछ पल नीम से,
कुछ साँसें शूल सी ,
कई दिन पहाङ से,
कई पल उजाङ से।
जी रही हूँ एक ज़िन्दगी बोझिल सी ,
ले रही हूँ साँसें मैं उधार की,
तेरी यादों के नश्तर चुभते हैं रात दिन
कई ताज़ा घाव दे जाते हैं हर दिन।
कई घाव हैं रिसते हुए,
कुछ साँसों को घसीटते हुए
ले जाते मौत की ओर,
तोङ हर बंधन, हर डोर।
कुछ सपनें साँसें लेती,
कई क्षण आवाज़ें देतीं,
एक दिल मेरा लहु से भरा,
हुआ बैठा था कबका तेरा।
कुछ तेरी सूरत की आस थी,
कुछ तेरे मिलने की प्यास थी,
कई बातें जो रह गई थीं बताने को,
कई अहसास जो थे जताने को।
कुछ टूटती साँसें रह गईं अब बस,
कुछ बेरंग से रंग,कुछ नीरस से रस,
कई बेदर्द से दर्द दिल में छुपा ले जाती हूँ,
कई धुंधले से सपने लिए नैनों में, इन आँखों को मूंद जाती हूँ ।।
©मधुमिता
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