साज़िश
मेरे चंदा से मिलने
का आज वादा है,
हौले से इतराकर
ज़िद करने का इरादा है।
ऐसे में ये स्याह बादलों
का जमघट क्यूं ?
गरज गरजकर
डराना यूँ!
रोज़ गुनगुनाती हवा
का आँधी बन उङना,
पत्ते, फूलों और कलियों को
अपने संग ले चलना।
ऊपर आसमान से
चंदा का चुप तकना,
बादलों की ओट में
फिर जाकर छुप जाना।
टिमटिमाते तारे भी आज
भूल गये निकलना,
या फिर इन काले दिल बादलों के
साथ इन्हें है छुप्पन छुपाई खेलना!
उमङ-घुमङ कर बादल दल आते,
पेङ भी हिल डुल मुझे डराते,
हवा ने भी मचाया है शोर,
अंधेरा छाया चहुँ ओर।
क्यों सब दुश्मन बन बैठे,
सब अपने ही में ऐंठे,
कहीं अपने मिलन को रोकने की ,
ये इन कमबख़्त सितारों और बादलों की,
साथ हवाओं और रूपहले चंदा की भी
मिलीजुली कोई साज़िश तो नही!!
©मधुमिता
मेरे चंदा से मिलने
का आज वादा है,
हौले से इतराकर
ज़िद करने का इरादा है।
ऐसे में ये स्याह बादलों
का जमघट क्यूं ?
गरज गरजकर
डराना यूँ!
रोज़ गुनगुनाती हवा
का आँधी बन उङना,
पत्ते, फूलों और कलियों को
अपने संग ले चलना।
ऊपर आसमान से
चंदा का चुप तकना,
बादलों की ओट में
फिर जाकर छुप जाना।
टिमटिमाते तारे भी आज
भूल गये निकलना,
या फिर इन काले दिल बादलों के
साथ इन्हें है छुप्पन छुपाई खेलना!
उमङ-घुमङ कर बादल दल आते,
पेङ भी हिल डुल मुझे डराते,
हवा ने भी मचाया है शोर,
अंधेरा छाया चहुँ ओर।
क्यों सब दुश्मन बन बैठे,
सब अपने ही में ऐंठे,
कहीं अपने मिलन को रोकने की ,
ये इन कमबख़्त सितारों और बादलों की,
साथ हवाओं और रूपहले चंदा की भी
मिलीजुली कोई साज़िश तो नही!!
©मधुमिता
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