Thursday, 30 June 2016

जाने दो



छोङो ना सब,
जाने दो अब।

क्यों हो परेशान?
मत हो यूँ हैरान,
हर उस चीज़ को उङ जाने दो,
नज़दीक उनको मत आने दो,
जो तुमको हिला जाती हैं 
सिर से पाँव तक सिहरा जाती हैं।

ये यादें  और तस्वीरें,
नही बदलेंगी ये तकदीरें,  
ये तो बस गंदगी और कूङा है, 
तुम्हारे रास्ते का रोङा है,
इन सबको तुम बाहर फेंको,
दूर करो,इनको मत रोको।

फेंको इन्हे खिङकी से बाहर 
और लगा लो मन के दरवाज़े का किवाङ,
दिल में नही रखो कोई शक,
इनका नही तुमपर अब हक,
ज़िन्दगी का तुम्हारे ये अब हिस्सा नही
नही बना सकते नया किस्सा कोई।

अब तो ये बन गये इतिहास,
नही इनसे लगाओ आस,
इन यादों की चित्रों को फाङ दो,
कतर कतर,उन कतरनों को जला डालो,
कर आओ इनकी विदाई,
छोङ दो जो प्रीत थी इनसे लगाई।

इन आँसूओं की धाराओं को
इन यादों के दागों को धो लेने दो,
नव शक्ति और नये नज़र का पैमाना 
जो है तुमने अब पाया ,
इनसे तुम पाओगे सीख कई,     
नई राहें और मंज़िलें नई।

ये यादें नही,बस थे हल्के से तूफान,
इनसे लङ सकता हर  इंसान,
ये गुज़र चुके हैं,नही कर सकते अब कोई हरकत,
ना ये बदल सकते अब किसी कीमत पर,तुम्हारी किस्मत,
तो अच्छा यही कि इन्हे चले जाने दो,
फिर,फिर इन्हे ना अपने पास आने दो।

जाने दो अब,
छोङो ना सब।।

-मधुमिता

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