shabdaamrit शब्दामृत-मधुमिता
Friday, 14 July 2017
रिश्ता
दूर नज़दिकियाँ,
तंग सी दूरियाँ,
क्या है तुझसे वास्ता,
जुदा जुदा फिर भी वाबस्ता,
कैसा ये राबता?
है अजब सा ये रिश्ता।।
©®मधुमिता
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