तीज
बादलों की थाप पर गायें मेघ मल्हार,
चूड़ी, कंगन, बिंदिया,
मेहंदी, पायल, बिछिया,।
सुर्ख सी होठों की लाली,
झूमती, डोलती कानों की बाली,
सिंधारा संग श्रृंगार,
कितना मनोरम सखी तीज का ये त्योहार।
मीठे गीतों की बहार,
संग तुम सखियों की छेड़छाड़,
दुल्हन सी बन करती हूँ प्रार्थना,
देवी पार्वती की आराधना।
"उनकी" सलामती मै चाहती हूँ,
हाथ जोड़ बस यही माँगती हूँ,
मालपुओं और घेवर की खुश्बू,
देखो अब आ गई है मुझको।
गोटे की चूनर संभालती,
खूब खुश होकर, नाचती गाती,
पीहु पीहु बोला कहीं पपीहरा,
याद आ गई अब तुम्हारी साँवरिया।
तुम ही तो हो पिया मेरा अनमोल जेवर,
जल्दी से आ जाओ अब पीहर,
संग-संग तीज मनायेंगे,
फिर अपने घर को जायेंगे।।
©®मधुमिता
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