Thursday, 14 December 2017

कुछ आँसू 



कुछ आँसू ढुलक गये मुस्कुराते हुये,
एक मुस्कान तैर गयी रोते हुये,
खारी सी हर एक बूंद 
तेरी चटपटी यादोँ संग,
रस रंजित कर गयी 
मेरी सुन्न पड़ी ज़ुबान को,
सुप्त पड़े हृदय को
जगा गयी आमोद से,
सुखद से एक स्पर्श से
आह्लादित कर गयी 
हर रोम-रोम को,
जीवित कर गयी 
हर भाव, अनुराग को,
कर गये सचेतन
एक निर्जीव, निष्प्राण को,
ये कुछ आँसू जो ढुलक गये मुस्कुराते हुये।।

©®मधुमिता

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