अफ़साना
दिल ने कहा चलना
कुछ अपना अफ़साना बयान कर,
कलम उठाई ही थी
कि दिमाग़ ने कन्धे पर दस्तक दी
और कहा , "पागल है क्या?"
ये दुनिया जज़्बातों की कद्र नही करती,
माख़ौल बना देगी तेरी ज़िन्दगी का!
संभाल पायेगी क्या ये यातना??
मै वहीं ठिठक कर जड़ हो गई!!
©मधुमिता 2017
दिल ने कहा चलना
कुछ अपना अफ़साना बयान कर,
कलम उठाई ही थी
कि दिमाग़ ने कन्धे पर दस्तक दी
और कहा , "पागल है क्या?"
ये दुनिया जज़्बातों की कद्र नही करती,
माख़ौल बना देगी तेरी ज़िन्दगी का!
संभाल पायेगी क्या ये यातना??
मै वहीं ठिठक कर जड़ हो गई!!
©मधुमिता 2017
No comments:
Post a Comment