Thursday, 11 May 2017

खुशियाँ




याद है मुझे,
साल पहले,
मेरा हाथ थामे
कहा था तुमने,
मुझे खुश रखना ही एकमात्र मकसद है तुम्हारा,
मेरी खुशियाँ ही बस मायने रखती हैं अब तुम्हारे लिये,
नाच उठा था मन मेरा,
रोम रोम गया था इतरा,
पर क्या पता था कि ये बस खोखले से बोल थे,
जो मैने समझे अनमोल थे,
तुम तो शायद खुशियों का मतलब ही नही जानते,
उनकी खूबसूरती को नही पहचानते,
खुशियाँ  मुहब्बत से पाली जाती हैं,
नर्मी से सहलाई जाती हैं,
सींची जाती हैं अहसासों से खुशियाँ, 
जज़्बातों के रंगों से सजाई जाती हैं खुशियाँ,
खुशियों को इत्र सा महकाया जाता है,
चिड़ियों सा चमकाया जाता है,
पायल की छनक सी,
चूड़ियों की खनक सी
 ताल पर मीठी सी
हंसती, गुनगुनाती
हुई आती हैं खुशियाँ,
प्यार से ना अपनाओ तो मुँह मोड़ जाती हैं खुशियाँ,
अभी भी थाम लो, रोक लो इनको,
कहीं देर ना हो जाये और खो दो तुम सबको,
दिल सी नाज़ुक होती हैं खुशियाँ,
टूटकर बिखर भी जाती हैं खुशियाँ,
चलो चलकर खुशियों को ज़रा मना लो,
वादे का अपने मान रख लो,
दोनो हाथों में भर लो इनको,
हाथों से अपने लुटाओ इनको!

दुगनी कर ले आओ खुशियाँ,
मेरे जीवन में भर जाओ खुशियाँ।।

 ©®मधुमिता

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