Monday, 22 May 2017

आँसू...


गर मुरझाई हूँ आज तो क्या,
कल आँसू फिर सींच देंगे,
पोंछकर सब कालिमा कल की,
जड़ों को मेरे जीवित कर देंगे,
हरी भरी कर,
हर रंग घोल मुझमे भर कर
सारगर्भित कर ही देंगे।।

©मधुमिता
#सूक्ष्मकाव्य

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