Wednesday, 29 November 2017

दुनिया का बाज़ार 





सुनहरी धूप और दुनिया का बाज़ार ,
सुनहरे जामो में कंक्रीट के अंबार,
कुछ घर और कुछ मकान,
कुछ एक सपनों की दुकान,
रिश्तों की ढेरीयाँ हैं,
मृषा की फेरीयाँ हैं,
कुछ सुख ,
अनगिनत दुःख,
कुछ नाते बिखरे से,
कुछ सम्बन्ध उखड़े से,
थोड़ी भीड़ है और थोड़ी तन्हाई,
मुहब्बत भी है देखो और है रुसवाई,
कुछ कहानियाँ हैं बनती हुईं
और कई बिगड़ती हुईं,
मुस्कुराते पल हैं,
नफरत भरे दिल भी हैं,
कटु सत्य भी,
मीठे मिथ्य भी,
रोशनी का यहाँ परदा है,
छुपा सा, कुछ अलहदा है,
आँख खोल, बिन लो और कर लो व्यापार,
सुनहरी धूप में सजा है दुनिया का बाज़ार।।

©®मधुमिता

 

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